शब्दों से तो सब कहते है,
शब्दों से क्या कहु ?
मोहब्बत एसी दिल से भरी,
चलो आपको कुछ "दिल" से कहु …
हर तरफ अंधकार ही देखा ,
अंधकार की तो क्या बात कहु ?
सुनहरी किरण बन आए आप् ,
चलो आज आपको "उजास" कहु ….
लगता था हर तरफ़ हताशा ही हताशा है ,
जीवन मैं आये दर्द का क्या कहु ?
हँसा दिया पल भर में आपने,
चलो आपको "प्रेरणा" कहु . . .
दुनिया तो सारी स्वार्थ से भरी ,
स्वार्थी संबंधो को क्या कहु ?
प्यार एसा निस्वार्थ आपका ,
चलो आपको "मित्रता" कहु ..,,
Dedicated to my Gr8 friend …
1 comment:
preeti tumne itni achchhi tarah se apani mitr kowo sab kah diya hai ....iss kavita ke madhyam se .
tumhari dost yaqeenan bahut acchhi hogi par tumhari usake liye bhavnaaye usase bhi shershth hai ..........
meri shubh kamnaayen
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