रिश्ते - ऐसे नहीं बनते .. सच कहा है यह किसी ने …
विश्वास और भावनाओ के जोड़ का फल होता है कोई भी रिश्ता . जहा प्यार, सम्मान , ख़याल और समर्पण की भावना हो . जहा यह भाव ना हो वो रिश्ते कुछ ही समय मैं ताश के पत्तो के महल की तरह हवा के हलके झोके से भी बिखर जाते है … तब मन सोचने लगता है की क्यों भावनाओ की जोड़ नहीं जुड़ रही या कहा अपनी पकड़ छोड़ रही है ? फिर अगले ही पल प्रतीत होता है की यह सिर्फ भावनात्मक ज्ञान का आभाव है, जो किसी भी रिश्ते की नींव हिला देता है .
विश्वास और भावनाओ के जोड़ का फल होता है कोई भी रिश्ता . जहा प्यार, सम्मान , ख़याल और समर्पण की भावना हो . जहा यह भाव ना हो वो रिश्ते कुछ ही समय मैं ताश के पत्तो के महल की तरह हवा के हलके झोके से भी बिखर जाते है … तब मन सोचने लगता है की क्यों भावनाओ की जोड़ नहीं जुड़ रही या कहा अपनी पकड़ छोड़ रही है ? फिर अगले ही पल प्रतीत होता है की यह सिर्फ भावनात्मक ज्ञान का आभाव है, जो किसी भी रिश्ते की नींव हिला देता है .
यह देखने में आता है की, जो रिश्ते शुरुवात में बहोत मजबूत लगते हे, उसकी बुनियाद कुछ दिनों के अन्तराल में मजबूत होने की जगह कमजोर पड़ने लगती है , एसा शायद इसी लिए होता है क्यों की रिश्तो में आपसी भावनात्मक ज्ञान नहीं होता… जब तक यह समझ ना आये रिश्ते एसे ही बनते - बिगड़ते रहेंगे ….
यह भावनात्मक ज्ञान क्या होता है ?
यह भावनात्मक ज्ञान क्या होता है ?
यह किसी व्यक्ति को जानने या समझने का ज्ञान है, खुद पर नियंत्रण रखने का , दुसरो के एहसास को पहचान कर अपने एहसास वहा तक पहुचाने का ज्ञान है . जब किसी व्यक्ति में इन भावनाओ का महत्व और समझ होगी तभी वो किसी रिश्ते को पूर्णता तक ले जा सकता है .
4 comments:
bahooot achchhe ji...
Very true ..! N Congrats ..!!
अच्छे विचार
बहुत अछि बात लिखी आपने रिश्ते के बारे में में बहुत सुक्रिया अदा करना चाहूँगा आपका
किसी के बारे में गहरे तक जानने का प्रयास ही दोस्ती करना है
थैंक्स दोस्त
boby
sweetxxxindian@gmail.com
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