हिन्द-युग्म पर यूनिकवि प्रतियोगिता के चौथे स्थान की कविता की रचयिता रश्मि प्रभा जी मानती हैं कि यह इनका सौभाग्य है कि ये महाकवि पन्त की मानस पुत्री सरस्वती प्रसाद की बेटी हैं और इनका नामकरण भी सुमित्रा नंदन पन्त ने किया था। तथा इनके नाम के साथ अपनी स्व रचित पंक्तियाँ पंत ने इनके नाम की... "सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन"। शब्दों की पांडुलिपि इन्हें विरासत में मिली है। इनका मानना है कि अगर ये शब्दों की धनी न होतीं तो इनका मन, इनके विचार इनके अन्दर दम तोड़ देते...इनका मन जहाँ तक जाता है, इनके शब्द उसकी अभिव्यक्ति बन जाते हैं... शैक्षणिक तौर पर इतिहास ऑनर्स में स्नातक रश्मि प्रभा जी की रचनाएँ "कादम्बिनी", "वांग्मय" और कुछ महत्त्वपूर्ण अखबारों में प्रकाशित हो चुकी हैं।
8 comments:
U r Our Proud ...
मेरी नज्मों को तुमने मुखरित कर दिया....इसको गुनगुनाकर मुझको सम्मानित किया.....
और उन्होंने अपने ह्रदय में हमें स्थान दिया है..उससे हमारी जिन्दगी जैसे भरपूर हो गई ...प्यार से..अपनेपन से...और शब्दों से...
MY WISHES ARE BOTH OF U....., RASHMI JEE KOO ITNEE ACHEE DOST MILEE ....., ORR MEE TOO APP DONO KA ITNA PYAR DEKHA KAR KHUSH HOO.., ISHWAR SADA YEE SATH BANYEE RAKHEE.........
तुम्हारी भेंट, तुम्हारे प्रेम को प्रकट करती है... यह प्रेम सदा बना रहे मेरी भगवान से यही प्रार्थना है...
रश्मि जी की कवितायेँ..उनके अंतर्मन से प्रस्फुटित होती हैं..हिंदी युग्म पर पुरस्कृत किये जाने पर मेरी भी बधाई ...रश्मि जी का प्यार ...इसी प्रकार से तुम्हे हमें और सभी को भावनाओं से ओत प्रोत कविताओं के माध्यम से सदैव मिलता रहे...
रश्मि जी की काव्यात्मक उपस्थिति अद्भुत है...
"नज्मों की सौगात "चली
प्रीति की थी पतवार लगी
वह जलतरंग थी अति पावन
ममता सी मोहक मनभावन ......
तुम्हारे प्यारे रिश्ते को मेरी शुभकामनाएं ....
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