"अन्तरंग" याने मेरे दिल का कोना,जो अब तक अ:जन्मा–अनकहा कही जी रहा था, मेरे एहसासों को शब्द मिले और इन् शब्दों से मुझे एक् पहचान मिली!
You have entered the world of InnerSoul …!
You’ll find positive, Motivational thoughts... In poetry few are written by Me n others too & Some r Translated also. I feel that thoughts heighten the awareness of our feelings & world around us.
परिभाषा ...
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kisi gahre vyktitw ko pribhashit kiya hai rachna bahut ucchkoti ki hai.background bhi acchi tyar ki hai.pryas poore man aur antratma se kiya hai.Isiliye safal hai.
परिभाषा को अच्छे से परिभाषित करती तो और भी सुंदर रचना बनती. परन्तु यह बहुत अच्छी परिभाषा है जिसमे तुम केवल उस को ही देखती हो जिन्हें परिभाषित करने के लिए शब्द नहीं मिलते. बहुत सुंदर उपमाए दी हैं तुमने अपने अपरिभाषित प्रेम को.
रचना अत्यन्त उत्तम है, भाव सरस, मर्मस्पर्शी हैं, किन्तु मेरी दृष्टि में कुछ शब्द अशुद्ध हैं, यथा श्रुष्टि के स्थान पर सृष्टि, सर्वश्य के स्थान पर सम्भवत: सर्वस्व होता तो अधिक स्पष्ट होता। इस धृष्टता के लिए क्षमाप्रार्थना।
कई दिनों से आपके व्यक्तित्व का आरेख खींचने के प्रयास में शब्दों को गढ़ने की जीवटता मेरे हृदय में बनी रही किन्तु अपने शब्दों से ही मैं असंतुष्ट रहा और इसी क्रम में कई बार लिखा और साथ ही साथ मिटाता भी रहा| आपका परिचय आपके हर रचना से मुझे परस्पर मिलती रही है और हर बार एक नया आयाम मेरे निर्वात मन में अपनी जगह बनता चला गया| सच बोलूं तो आपकी रचनाओं में हमेशा एक में साकारात्मक गुबार मिलता है मुझे, जो उन्हें पढ़ लेने के बाद भी मन में अपनी तासीर बनाये रखता है| आपसे मेरी हमेशा अपेक्षा बनी रहेगी कि आप अपनी रचनाओं को पढाते रहेंगे| माँ सरस्वती की आप पर असीम अनुकम्पा बनी रहे|
12 comments:
jisko bhi paribhashit kiya,use pahchannewali tum ho.....
bahut sundar pahchaan
kisi gahre vyktitw ko pribhashit kiya hai rachna bahut ucchkoti ki hai.background bhi acchi tyar ki hai.pryas poore man aur antratma se kiya hai.Isiliye safal hai.
bahot badhiya.....
sundar paribhasha ,shabdon ka sarthak prayog .........
jisake bhi liye hai, wo dhany ho gaya .....
sampoornta mei kisi ko dekhna, aur sirf usi ko dekhna prem ki charam seema hai.......
bahut sunder rachna hai.....
अच्छे भावः अच्छे शब्द अच्छी रचना........
अक्षय-मन
ek aur behad uttam rachna hai aapki
bahut bahut badhaiya.........
bahut sunder !jidher dekhoon bas too hi too .........
परिभाषा को अच्छे से परिभाषित करती तो और भी सुंदर रचना बनती.
परन्तु यह बहुत अच्छी परिभाषा है जिसमे तुम केवल उस को ही देखती हो जिन्हें परिभाषित करने के लिए शब्द नहीं मिलते.
बहुत सुंदर उपमाए दी हैं तुमने अपने अपरिभाषित प्रेम को.
रचना अत्यन्त उत्तम है, भाव सरस, मर्मस्पर्शी हैं, किन्तु मेरी दृष्टि में कुछ शब्द अशुद्ध हैं, यथा श्रुष्टि के स्थान पर सृष्टि, सर्वश्य के स्थान पर सम्भवत: सर्वस्व होता तो अधिक स्पष्ट होता।
इस धृष्टता के लिए क्षमाप्रार्थना।
Sahi kaha aapne Dr. saab.... hum thik kar denge ise.. bahut shukriya ..!
कई दिनों से आपके व्यक्तित्व का आरेख खींचने के प्रयास में शब्दों को गढ़ने की जीवटता मेरे हृदय में बनी रही किन्तु अपने शब्दों से ही मैं असंतुष्ट रहा और इसी क्रम में कई बार लिखा और साथ ही साथ मिटाता भी रहा|
आपका परिचय आपके हर रचना से मुझे परस्पर मिलती रही है और हर बार एक नया आयाम मेरे निर्वात मन में अपनी जगह बनता चला गया| सच बोलूं तो आपकी रचनाओं में हमेशा एक में साकारात्मक गुबार मिलता है मुझे, जो उन्हें पढ़ लेने के बाद भी मन में अपनी तासीर बनाये रखता है| आपसे मेरी हमेशा अपेक्षा बनी रहेगी कि आप अपनी रचनाओं को पढाते रहेंगे| माँ सरस्वती की आप पर असीम अनुकम्पा बनी रहे|
शुभकामनाओं समेत!
आपका शुभेक्षु!
"यायावर"
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