"अन्तरंग" याने मेरे दिल का कोना,जो अब तक अ:जन्मा–अनकहा कही जी रहा था, मेरे एहसासों को शब्द मिले और इन् शब्दों से मुझे एक् पहचान मिली!
You have entered the world of InnerSoul …!
You’ll find positive, Motivational thoughts... In poetry few are written by Me n others too & Some r Translated also. I feel that thoughts heighten the awareness of our feelings & world around us.
बिना वजह जो ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते हैं उनकी बात अलग होती है, उनके ख्याल,उनके मर्म ,उनकी तपिश,उनकी कशिश ख्यालों के पर्वत पर बादलों सी उमड़ती है.....बिना वजह ! बिना वजह कोई इतनी गहराई रख जाता है.... बिना वजह कोई इतना अच्छा लिख लेता है........ वजह तो खामोश होते हैं !
मेरी सोच है तब तक कुछ भी जो हम लिखते है वो बिना वजह नहीं होता...कही न कही दिल और दीमाग के कोने में वो बात चालू रहेती है तब जा के शब्द बन कर कागज़ पे लिखी जाती है.. कमसेकम मै जो लीखती हु वो सब आपबीति या आपदीखी ही होती है..
उस पर किसका पहरा है जहाँ चाहे वहां जाए .....बिना वजह वह एक सोंच की तरह कुछ भी सोचे........ बिना वजह
पर ऐसा नहीं है और गहराई में झांको, वजह तो हर एक की निश्चित है, ये है की हम शायद सीमा में रहकर सोचते हैं तभी उस वजह तक नहीं पहुँच पाते हैं . ये मेरे विचार हैं ,बुरा मत मानना .
bahut achha.... par yaar wajah to hai na...is dunia mai kabhi kuch bhi bina wajah ke hua hai bhala????ankhe band karo bache or dhyan se socho....wajah samne aa jayegi.....or jab na mile to mujhe kahna mai batungi wo wajah...... akhir didz hu yar tumhari.... MAY GOD BLESS U......UHI NIKHARTI RAHO....
geet bahut accha likha hai.Background bhi bahut pyari li hai geet me 2 theme hai hame aisa laga hai.vaise to bina vajah bahut kuch karna padta hai.Lekin hakikat alag hoti hai.Rachna ke liye badhai
' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पर रश्मि प्रभा जी द्वारा की समीक्षा पर आपके विचार पढ़े । रश्मि जी ने कविताओं के मर्म को समझकर मन से लिखा है। मैं तो बेटियों का पिता हूँ । उन्हें जीता हूँ। लड़कियों के प्रति मेरे अपने विचार हैं, अपना दर्शन है। समाज में उनकी स्थिति और सदियों से उनके प्रति चली आ रही सोच पर आक्रोश स्वाभाविक है। परिवर्तन आ रहे हैं। कवि के रूप में मेरा दायित्व था । मैंने उसका निर्वाह किया है। इच्छा यही कि 'लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पुस्तक उन सब तक पहुंचे जिनके मन में लड़कियों के प्रति उपेक्षा भाव हैं। उन तक भी पहुँचे जिनके मन में इनके प्रति स्नेह भाव है। सकारात्मक सोच बनाने में कविता की अहम भूमिका होती है। आपके शब्दों ने उत्साहित किया है। संपर्क बनाये रखें।
10 comments:
बिना वजह जो ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते हैं उनकी बात अलग होती है, उनके ख्याल,उनके मर्म ,उनकी तपिश,उनकी कशिश ख्यालों के पर्वत पर बादलों सी उमड़ती है.....बिना वजह !
बिना वजह कोई इतनी गहराई रख जाता है....
बिना वजह कोई इतना अच्छा लिख लेता है........
वजह तो खामोश होते हैं !
मेरी सोच है तब तक कुछ भी जो हम लिखते है वो बिना वजह नहीं होता...कही न कही दिल और दीमाग के कोने में वो बात चालू रहेती है तब जा के शब्द बन कर कागज़ पे लिखी जाती है..
कमसेकम मै जो लीखती हु वो सब आपबीति या आपदीखी ही होती है..
उस पर किसका पहरा है जहाँ चाहे वहां जाए .....बिना वजह
वह एक सोंच की तरह कुछ भी सोचे........ बिना वजह
पर ऐसा नहीं है और गहराई में झांको, वजह तो हर एक की निश्चित है, ये है की हम शायद सीमा में रहकर सोचते हैं तभी उस वजह तक नहीं पहुँच पाते हैं .
ये मेरे विचार हैं ,बुरा मत मानना .
चलो अब हँस दो!!!
अरी दोस्त जी, बुरा क्यों मानेंगे ...
पर लगता था जिन्दगी जी रही थी ... बिना वजह ,
पर अब् लगता है जीना है क्युकी है बहुत वजह ...
YS, SHAYD HAMARE LIYEE BHEE YEE NET BINA VAJHEE JINDGI KA HISSA BAN GAYA HAI, OR HUM ISKEE BINA APNE APP KOO AADHA SAMAJTEE HAI,
bahut achha....
par yaar wajah to hai na...is dunia mai kabhi kuch bhi bina wajah ke hua hai bhala????ankhe band karo bache or dhyan se socho....wajah samne aa jayegi.....or jab na mile to mujhe kahna mai batungi wo wajah......
akhir didz hu yar tumhari....
MAY GOD BLESS U......UHI NIKHARTI RAHO....
मन बेचैन है मेरा ...
वजह हो तुम .......
याद् बन गये हो,
क्यूंकि साथ नहीं हो तुम ..........
हृदय में उतर जाते हो ,
मेरी स्पंदन हो तुम .....
मेरे होने की वजेह ,
अतीत का मीठा बंधन हो तुम ......
जब ढूंढती हूँ कण - कण में ,
सब में व्याप्त हो तुम ,
कैसे भूलूँ तुम्हे पल भर को भी ,
मुझमे शुरू , मुझमे समाप्त हो तुम ........
बहुत सुंदर लिखा है तुमने ...वज़ह तो होती है हेर बात की , बस कभी कभी नज़र नहीं आती ........
........अनीता
geet bahut accha likha hai.Background bhi bahut pyari li hai
geet me 2 theme hai hame aisa laga hai.vaise to bina vajah bahut kuch karna padta hai.Lekin hakikat alag hoti hai.Rachna ke liye badhai
' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पर रश्मि प्रभा जी द्वारा की समीक्षा पर आपके विचार पढ़े ।
रश्मि जी ने कविताओं के मर्म को समझकर मन से लिखा है। मैं तो बेटियों का पिता हूँ । उन्हें जीता हूँ। लड़कियों के प्रति मेरे अपने विचार हैं, अपना दर्शन है। समाज में उनकी स्थिति और सदियों से उनके प्रति चली आ रही सोच पर आक्रोश स्वाभाविक है। परिवर्तन आ रहे हैं।
कवि के रूप में मेरा दायित्व था । मैंने उसका निर्वाह किया है। इच्छा यही कि 'लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पुस्तक उन सब तक पहुंचे जिनके मन में लड़कियों के प्रति उपेक्षा भाव हैं। उन तक भी पहुँचे जिनके मन में इनके प्रति स्नेह भाव है। सकारात्मक सोच बनाने में कविता की अहम भूमिका होती है।
आपके शब्दों ने उत्साहित किया है। संपर्क बनाये रखें।
bina wazah mai hi
wo b udas hai
chalo dil k koi aor
bhi itna pas hai
bina wazah hi ham ziye ja rahe hai apni apni zindgi
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