"अन्तरंग" याने मेरे दिल का कोना,जो अब तक अ:जन्मा–अनकहा कही जी रहा था, मेरे एहसासों को शब्द मिले और इन् शब्दों से मुझे एक् पहचान मिली!
You have entered the world of InnerSoul …!
You’ll find positive, Motivational thoughts... In poetry few are written by Me n others too & Some r Translated also. I feel that thoughts heighten the awareness of our feelings & world around us.
रिश्ता - एहसासों का ...
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20 comments:
wow...very touching.....
bahot hi khubsurat aur pyar se paripurn ahsas ....
दिल के जज्बातों से सजी
यह एक अच्छी क्षणिका है।
बधाई।
बहुत सुंदर कविता जज्बातों से भरी...पर कुछ शब्द सही कर लें वर्ना कविता का मजा जा रहा है जैसे 'धुप, कूछ, शाथ,भीड इत्यादि
रचना के इस भाव संग चित्र बहुत है खास।
प्रीति के इस प्रेम का सुखद लगा एहसास।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bahot hi sundar aur pyar bhare ahsaso hai...
dil ko chhu liya in ahsaso ne tumhari tarah...
love uuu
बहुत कुछ कहती रचना........यूँ कहें पूरा मन है
बहुत कोमल भाब है. रिश्तो को सहेजने को
प्रेरित करते है.
saral bhasha me sundar kavita likhna bahut badi kala hai .bhav bahut acche hai , background coloured hona chahiye thi .
sach hi kaha hai
rishte humesha hi sath dete hain agar sachhe hon to
ek achhi laghu kavita
अहसासों कि अनुभूति हृदयहीनों को नहीं होती . बाकि सभी को होती है.
bahut hi achche ahsaas hain preeti ji,,,,,,, aakhir prem ki anubhooti aise hi hoti hai......
Ajit Tripathi
bhavuktapoorn rachna badhai!
ek dam sachhai ,komal bhavnae ,uttam chitran ..........congratssssssss
Ehsas yahi hota hai,
Hum The,
Hum Hai,
Hum Rahenge Sada.
Bahut Sundar, aur ek sach bhi.
good one keep it up
रिश्ता......एहसास दे गया.........मन के जज्बातों को हवा दे गया ....रिश्तों के एहसास को तुमने सही तरह से समझ कर लिखा..अपने मन कि भावनाओ को उकेरा है.....
hum teh...
hum hai...
hum raheinge sada !!
sahi kaha ji aapne !!
Dil ko chhu gaye ye rachna.
{ Treasurer-T & S }
khoobsurat rishta....badhai
.....मौसम बोलता है!!
चुप कड़ी चारो दिशायें
अधर पर स्मित छुपाये
तोड़ कर अब मौन-
"मौसम बोलता है"
ओ अछूते पुष्प आओ
सुरभि तुमको बाँट दू मैं
तितलियों की पांख पर कुछ
बुंदकियाँ भी टांक दू मैं!
भृंग मधुमय गीत गाये
नेह की मदिरा लुटाये
अब हठीला पवन-
"बंधन खोलता है"!!
..... मौसम बोलता है!!
झर गए जो पात तन से
शाख दुःख न तनिक करना
कर रहा पतझर ठिठोली
दीर्घ जीवन क्षणिक मरना,
गेह निज फिर - फिर बुलाये
लो पुनः नव पर्ण आये,
अब मुकुल घट में नवल-
"रस घोलता है"!
.....मौसम बोलता है!!
मैं हुआ उन्मत्त बसुधे
तुम जरा आँचल पसारो
ओ गगन तुम तनिक झुक कर
प्रियतमे! कहकर पुकारो,
दिवस को साक्षी बनाए
या मिलन की रात लायें,
मन तराजू सा लरजता-
"तोलता है"
..... मौसम बोलता है!!
"असीम"
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