"अन्तरंग" याने मेरे दिल का कोना,जो अब तक अ:जन्मा–अनकहा कही जी रहा था, मेरे एहसासों को शब्द मिले और इन् शब्दों से मुझे एक् पहचान मिली!
You have entered the world of InnerSoul …!
You’ll find positive, Motivational thoughts... In poetry few are written by Me n others too & Some r Translated also. I feel that thoughts heighten the awareness of our feelings & world around us.
कैसे चुकाउंगी ...?
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14 comments:
bade hi pyare...ahsas ...
bahot sundar...
बहुत ही संवेदनशील है आपके विचार और आपकी रचना. और उतनी ही खूबसूरती से आपने पोस्ट भी किया है.
बहुत सुन्दर
यशोदा का,राधा का प्यार ऋण नहीं था....कृष्ण या कर्ण क्या चुकाते,सिवा मान के क्या देते!
बहुत ही गहन रिश्ते की मिठास है इसमें....
रिश्तों को बन्धन का बोध कराती,
खूबसूरत कविता के लिए बधाई।
सच है........... कई ऋण ऐसे हैं जो chukaaye नहीं जा सकते........... लाजवाब लिखा है
kya bat hai preti jee, itna deeply words app ne papar par dal diyee,
very nice
ha vo to hai hamara rishta ...tab to ham mile yaha..
bahot badhiya likha hai ji
wahhh kuch rishte anmol hote hain
bhaopurn chitran
bahut achhi kavita
बहुत खूबसूरत रचना
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
khubsurat
rishte ki mithas ke baare main aapse sikh leni paregi.......:)
bahut sundar!!
बहुत सुन्दर भावभरी कविता है।
बधाई!
Wah
Mohatarma kya bat hai
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