"अन्तरंग" याने मेरे दिल का कोना,जो अब तक अ:जन्मा–अनकहा कही जी रहा था, मेरे एहसासों को शब्द मिले और इन् शब्दों से मुझे एक् पहचान मिली!
You have entered the world of InnerSoul …!
You’ll find positive, Motivational thoughts... In poetry few are written by Me n others too & Some r Translated also. I feel that thoughts heighten the awareness of our feelings & world around us.
कैसे मिलूंगी ..?
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"अपने अहम् में ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी कांच के शहर में ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी " बहुत सुंदर बात कही है ...अगर ढूंढ़ना है तो पहले अहम् को नष्ट कर दो ...आत्मासात कर लो ..फिर तो ढूंढ़ना ही नहीं पड़ेगा ...... "जल हूँ, ओस हूँ , बादल हूँ ...मृगतृष्णा सी प्यास हूँ ....तृप्त शहर में जो ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी" ये पंक्तियाँ भी बहुत सुंदर बन पड़ी हैं .........
बहुत ही उचित सोच ही........अगर यूँ ही कहीं भी ढूंढो तो कुछ नहीं मिलता...और अगर अपने पास महसूस करो तो सब आस पास ही मिल जाता है... तुम्हारी प्रस्तुति अत्यंत मनमोहक है...और तुम्हारी सृजनात्मकता को दर्शाता है...
bahut hi khubsuratbhavaabhivyakti hai aapki .......n prentation to bahut hi uttam .kaise kar leti hai aap y sab .............. hame bhi sikhayegi aap? HAVE A LOOK ON MY BLOG http://thoughtpari.blogspot.com/
13 comments:
जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ,जो बौरा डूबन डरा रहा किनारे बैठ....
कैसे मिलूंगी....और साम्यता रखती तस्वीरें......तुम्हारा जवाब नहीं
बहोत बढ़िया जी....
"अपने अहम् में ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी
कांच के शहर में ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी "
बहुत सुंदर बात कही है ...अगर ढूंढ़ना है तो पहले अहम् को नष्ट कर दो ...आत्मासात कर लो ..फिर तो ढूंढ़ना ही नहीं पड़ेगा ......
"जल हूँ, ओस हूँ , बादल हूँ ...मृगतृष्णा सी प्यास हूँ ....तृप्त शहर में जो ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी"
ये पंक्तियाँ भी बहुत सुंदर बन पड़ी हैं .........
la javab...
मैं तुम्हारे पास हूँ ,
क्यों ढूंढते हो तुम मुझे ,
प्यार के एहसास में लिपटी मिलूंगी
खुशबू बन साँसों में घुलूंगी .......
बहुत सुन्दर चित्र संयोजन ......
प्यार के साथ ...
बहुत ही उचित सोच ही........अगर यूँ ही कहीं भी ढूंढो तो कुछ नहीं मिलता...और अगर अपने पास महसूस करो तो सब आस पास ही मिल जाता है...
तुम्हारी प्रस्तुति अत्यंत मनमोहक है...और तुम्हारी सृजनात्मकता को दर्शाता है...
बहुत सुन्दर कविता और बेक ग्राउंड है लेकिन खोजने वाला
भी बुरा होता है वह खोजकर ही रहता है बहुत बहुत बधाई
बहुत ही खूबसूरत एहसास....सुन्दर अभिव्यक्ति..... तस्वीरो का संयोजन बेहतरीन...बधाई
bahut hi khubsuratbhavaabhivyakti hai aapki .......n prentation to bahut hi uttam .kaise kar leti hai aap y sab .............. hame bhi sikhayegi aap? HAVE A LOOK ON MY BLOG http://thoughtpari.blogspot.com/
व्यक्त भावनाएं सुंदर हैं , शब्द संयोजन भी ठीक है, एक और अच्छा प्रयास .
ब्लाग पर इतने सुन्दर शब्द
कभी-कभी ही पढ़ने को मिलते हैं।
धारदार कविता के लिए,
बधाई।
विचारों में रवानी है,
कहानी में कहानी है।
छिपी है वेदना कोई,
उसी की ये निशानी है।
वक्त चलाता खंजर देखा,
दर्द भरा इक मंजर देखा।
फिर भी आशा बची हुई है,
आखों में छवि रची हुई है।
"अपने अहम् में ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी
कांच के शहर में ढूंढोगे तो कैसे मिलूंगी "
Its an awesome rachna, simply superb...
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